Vijnasu

Jan 42 min

अप्रक्रियाकृत समुद्री नमक vs प्रक्रियाकृत आयोडीन युक्त नमक

अप्रक्रियाकृत समुद्री नमक जिसमें सभी खनिज होते हैं, और प्रक्रियाकृत आयोडीन युक्त नमक जिससे खनिजों को हटा दिया जाता है, इन दोनों का महत्व अलग-अलग है।

1. अप्रक्रियाकृत समुद्री नमक:

   - यह प्राकृतिक रूप में पाया जाता है और इसमें सोडियम क्लोराइड के अलावा 80 से अधिक अन्य खनिज तत्व होते हैं।

   - इन खनिजों में मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटेशियम, तांबा, जस्ता, आयरन आदि शामिल हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं।

   - ये खनिज शरीर के विभिन्न कार्यों में सहायक होते हैं जैसे कि पानी और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन, नर्वस सिस्टम का सही तरीके से काम करना, आदि।

   - हालांकि, इसमें आयोडीन की मात्रा कम हो सकती है, जो कुछ क्षेत्रों में आयोडीन की कमी से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।

2. आयोडीन युक्त नमक:

   - इस प्रक्रियाकृत नमक से अधिकांश अन्य खनिज निकाल दिए जाते हैं और इसमें मुख्य रूप से सोडियम क्लोराइड और आयोडीन होता है।

   - आयोडीन थायराइड हार्मोन के उत्पादन में महत्वपूर्ण है और इसकी कमी से गोइटर और अन्य थायराइड समस्याएं हो सकती हैं।

   - आयोडीन युक्त नमक का उपयोग करने से आयोडीन की कमी की समस्याओं को रोका जा सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ भोजन में आयोडीन की प्राकृतिक उपलब्धता कम होती है।

संक्षेप में, अप्रक्रियाकृत समुद्री नमक में विभिन्न खनिजों के लाभ होते हैं, लेकिन इसमें आयोडीन की कमी हो सकती है। वहीं, आयोडीन युक्त नमक से आयोडीन की कमी से बचा जा सकता है, लेकिन इसमें अन्य खनिज कम होते हैं। इसलिए, दोनों प्रकार के नमक का उपयोग व्यक्तिगत स्वास्थ्य जरूरतों और भौगोलिक स्थितियों के अनुसार किया जाना चाहिए।

वर्तमान में अधिक आयोडीन युक्त और खनिज विहीन नमक का उपयोग करने से शरीर पर कुछ नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं, जो शारीरिक और चिकित्सीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं:

1. आयोडीन का अधिक सेवन: अत्यधिक आयोडीन का सेवन थायराइड ग्रंथि के कार्य में असंतुलन पैदा कर सकता है। इससे हाइपरथायराइडिज़्म (थायराइड हार्मोन का अत्यधिक उत्पादन) या हाइपोथायराइडिज़्म (थायराइड हार्मोन की कमी) हो सकती है। गर्भावस्था में, अत्यधिक आयोडीन का सेवन भ्रूण के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

2. खनिजों की कमी: खनिज विहीन नमक का उपयोग करने से शरीर में अन्य महत्वपूर्ण खनिजों की कमी हो सकती है। इसमें मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटेशियम आदि शामिल हैं, जो हृदय, मांसपेशियों, और तंत्रिका कार्यों के लिए आवश्यक हैं।

3. शारीरिक प्रक्रियाओं में असंतुलन: खनिजों की अनुपस्थिति शरीर के इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को प्रभावित कर सकती है, जिससे थकान, मांसपेशियों में ऐंठन, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

4. आहार संतुलन में कमी: नमक के अधिक सेवन से आहार में सोडियम का स्तर बढ़ सकता है, जो उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधी रोगों के जोखिम को बढ़ाता है।

5. प्राकृतिक स्वास्थ्य लाभों से वंचित: प्राकृतिक समुद्री नमक में मौजूद खनिज और तत्व शरीर के लिए लाभकारी होते हैं। इनकी अनुपस्थिति में शरीर को ये लाभ प्राप्त नहीं हो पाते।

इस प्रकार, आयोडीन युक्त और खनिज विहीन नमक के उपयोग से शरीर में विभिन्न प्रकार के असंतुलन और स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, संतुलित आहार और नमक के उपयोग में संयम बहुत महत्वपूर्ण है।

- Hemanth Kumar G

www.vedavidhya.com

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